उसकी आँखों की वो चमक
अनूठी है, अद्वितीय है,
उन बाँहों की गर्माहट,
सुनहरी है, सौम्य है,
उन होठों की मुस्कान,
छणिक है अलबेली है,
वो थी कोई अनजान,
पर अब वो मेरी सहेली है।
उसके चेहरे का प्रकाश,
मनो चाँद का आभारी हो।
वे मीठे मीठे गाल,
जैसे मिष्टान्नम् सारे हों।
उस मुख से निकली बात में मनो,
पंख सी कोमलता हो।
अब है वो मेरे साथ,
खुदा को अनगिनत शुक्रिया अदा हो।
अनूठी है, अद्वितीय है,
उन बाँहों की गर्माहट,
सुनहरी है, सौम्य है,
उन होठों की मुस्कान,
छणिक है अलबेली है,
वो थी कोई अनजान,
पर अब वो मेरी सहेली है।
उसके चेहरे का प्रकाश,
मनो चाँद का आभारी हो।
वे मीठे मीठे गाल,
जैसे मिष्टान्नम् सारे हों।
उस मुख से निकली बात में मनो,
पंख सी कोमलता हो।
अब है वो मेरे साथ,
खुदा को अनगिनत शुक्रिया अदा हो।