रमज़ान का यह आखिरी दिन,
ईद गाह में सब आकर मिल,
मक्का की ओर देखेंगे,
अल्लाह हु अकबर गायेंगे।
तैयारियां अपनी चरम सीमा पर,
किसी अवसाद का नहीं है डर,
आ ही रहे होंगे वे नमाज़ी,
जिनके साथ ही नमाज़ अदा करेगा क़ाज़ी।
चादरें बिछ गईं हैं, चप्पलें उतर गयीं हैं,
उस परवरदिगार के आँगन में भीड़,
पंक्ति में खड़ी हो चुकी है।
इंतज़ार है तो बस उस एक लव्ज़ का,
जो सबको अपने घुटनो पर देगा बिठा,
माफ़ी मांगते हुए ही सब बैठे,
और उस अल्लाह की अदालत में सिर झुका,
मचल उठा एक नमाज़ी का दिल
आरम्भ हुआ ईद का ये दिन.
तीस दिन जिसके इंतज़ार में,
खाना और पीना सब छोड़ा था,
आज उस भूख और प्यास का
अता-पता कोई ना था
सिर पर टोपी हाथ क़ुरान पर,
मुख से,
ज्योंही अल्लाह का लफ्ज़ निकला,
सर्वसम्मति की करी दुआ,
सबका दिल बाग-बाग हुआ।
यह देखकर, उछल उठा एक पंडित का दिल,
प्रारम्भ हुआ ईद का दिन ।
आरम्भ हुआ ईद का यह दिन ।।
ईद गाह में सब आकर मिल,
मक्का की ओर देखेंगे,
अल्लाह हु अकबर गायेंगे।
तैयारियां अपनी चरम सीमा पर,
किसी अवसाद का नहीं है डर,
आ ही रहे होंगे वे नमाज़ी,
जिनके साथ ही नमाज़ अदा करेगा क़ाज़ी।
चादरें बिछ गईं हैं, चप्पलें उतर गयीं हैं,
उस परवरदिगार के आँगन में भीड़,
पंक्ति में खड़ी हो चुकी है।
इंतज़ार है तो बस उस एक लव्ज़ का,
जो सबको अपने घुटनो पर देगा बिठा,
माफ़ी मांगते हुए ही सब बैठे,
और उस अल्लाह की अदालत में सिर झुका,
मचल उठा एक नमाज़ी का दिल
आरम्भ हुआ ईद का ये दिन.
तीस दिन जिसके इंतज़ार में,
खाना और पीना सब छोड़ा था,
आज उस भूख और प्यास का
अता-पता कोई ना था
सिर पर टोपी हाथ क़ुरान पर,
मुख से,
ज्योंही अल्लाह का लफ्ज़ निकला,
सर्वसम्मति की करी दुआ,
सबका दिल बाग-बाग हुआ।
यह देखकर, उछल उठा एक पंडित का दिल,
प्रारम्भ हुआ ईद का दिन ।
आरम्भ हुआ ईद का यह दिन ।।
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